समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

राज्यपाल का अभिभाषण और उसके मायने

गत सोमवार को राज्य विधानसभा का बजट सत्र प्रारम्भ हुआ। विपक्षी सदस्यों की मामूली टोका-टाकी के अलावा विपक्षी सदस्यों ने राज्यपाल के एक घंटा 25 मिनट चले अभिभाषण में कोई व्यवधान नहीं डाला। यही नहीं विपक्ष ने इसके बाद चली विधानसभा की कार्यवाही में भी व्यवधान नहीं डाला। इसे विपक्ष के सकारात्मक रूख की तरह देखा जा रहा है। राज्यपाल के अभिभाषण में कुछ मुद्दे शामिल किये गये हैं जैसे कि-राज्य में कानून व्यवस्था सामान्य,वन विभाग में 30 हजार दावों का निस्तारण, जयपुर एवं जोधपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू की गई, अल्पसंख्यक छात्रों के कल्याण पर 7 करोड़ 30 लाख व्यय, भूमि संबधी मामलों के लिए जेडीए में थाना गठित, शिक्षा विभाग में 50 हजार शिक्षकों की भर्ती की योजना, गुर्जर आंदोलन का शांतिपूर्ण निपटारा, ई-गर्वनेंस से सूचना गांव-गांव तक पहुंची, पेयजल के लिए 12 हजार करोड़ की योजनाएं बनीं, 22 परियोजनाओं पर काम पूरा, जल नीति के बेहतर क्रियान्वयन के प्रयास, मार्च 2012 तक 50 हजार हेक्टेयर में फव्वारा पद्धति से सिचाई का लक्ष्य, प्रशासन गांवों के संग अभियान का सफल संचालन, पंचायतीराज संस्थाओं की मजबूती के लिए जिला कलक्टरों को शक्तियां, निशक्तजनों को प्रमाण पत्र व पंजीकरण नि:शुल्क वितरण, देवनारायण योजना का प्रभावी क्रियान्वयन, 27 विकासखंडों में 5700 करोड़ की योजनाएं प्रारंभ, कच्चे तेल की खोज के रूप में राज्य को अनोखी उपलब्घि, 36.57 लाख परिवारों को दो रूपए प्रति किग्रा की दर से अनाज देना, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को 413 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराना, बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के लिए 51 हजार लड़कियों को साइकिल वितरण, औद्योगिक एवं निवेश नीति 2010 के तहत उद्योगों को बढ़ावा, भिवाड़ी में राज्य का पहला कार उत्पादन कारखाना, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर 597 करोड़ खर्च, एकल खिड़की योजना लागू करने से निवेश को मिला बढ़ावा, सामाजिक सुरक्षा के लिए पेंशन में वृद्घि।लेकिन राज्यपाल का अभिभाषण राज्य के अवाम की नजरों में निराशाजनक ही रहा। अभिभाषण में सरकार की जो उपलब्धियां गिनाई गई वह तो प्रशासन के औसत दर्जे का कामकाज है। खास बात है कि पिछले दो बजटों में की गई घोषणाओं और प्रावधानों को आज तक पूरा नहीं किया गया है। नतीजन अवाम परेशान है। पिछले दो सालों में प्रदेश में एक भी नई नियुक्ति नहीं की गई। नतीजन शिक्षा, चिकित्सा, स्थानीय निकाय विभागों से जुड़ी सेवाओं के हाल बद्हाल हैं। कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। राज्य में कृषि नीति नहीं होने और औद्योगिकरण से किसान बर्बाद हो रहे हैं। नरेगा में भ्रष्टाचार अपने चरम की ओर जा रहा है। बिजली-पानी सेवायें भ्रष्टाचार की भेंट पहिले ही चढ़ चुकी हैं। मंहगाई, बेरोजगारी, जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी के मुद्दों पर राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में एक शब्द भी नहीं बोला। नतीजन आम अवाम में जन आक्रोश पनपना स्वभाविक ही होगा।प्रदेश में राज्यपाल प्रदेश की सरकार का मुखिया होते हैं। जब प्रदेश का मुखिया ही अपने अवाम की पीड़ा में भागीदार नहीं होगा और उसके दु:खदर्दों पर अपने अभिभाषण के जरिये महरम नहीं लगायेगा तो प्रदेश के मुखिया के अभिभाषण का अवाम के सामने क्या महत्व रह जाता है!अब राज्यपाल के अभिभाषण पर तीन दिन बहस चलेगी। पक्ष-विपक्ष अपने तीर चलायेंगे, लेकिन अवाम की पीड़ा के मुद्दे ही जब अभिभाषण में नहीं हैं तो अवाम के लिये अभिभाषण पर बहस और धन्यवाद पारित करने की रस्म मात्र औपचारिकता बनने के अलावा क्या होगी? OBJECT WEEKLY