राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों गृहमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचिव एस.अहमद, गृह सचिव, महानिदेशक पुलिस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा बताया जाता है कि पुलिस थाना स्तर के अधिकारियों (थानेदारों) की मिलीभगत के बिना अपराध सम्भव नहीं है। उनकी लगाम कसी जानी चाहिये।मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश में अपराधों के बढ़ते ग्राफ से चिंतित थे। सूत्र बताते हैं कि पिछले साल राज्य में अपराधों का ग्राफ बढ़ा है। जिसमें बलात्कार के मामलों में १४ फीसदी, महिला उत्पीडऩ के मामलों में ३६ फीसदी, चोरी के मामलों मे ८ फीसदी, हत्या के मामलों मे ७ फीसदी तथा एससीएसटी महिलाओं के बलात्कार के मामलों में ३४ फीसदी तक इजाफा हुआ है।सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा बताते हैं कि पुलिस थानों के थानेदारों को उनके इलाके के बदमाशों के बारे में पूरी जानकारी होती है और उनको तो यहां तक पता होता है कि कौन सा अपराधी किस तरह का अपराध कर सकता है। लेकिन हिस्ट्रीशीटर और भू-माफिया खुलेआम घूम रहे हैं और नये पनप रहे हैं। मुख्यमंत्री का बैठक में सवाल था कि ऐसी स्थिति में अपराधों पर नियन्त्रण कैसे होगा?मुख्यमंत्री के सवालों का जवाब तो राज्य के पुलिस महानिदेशक ही दे सकते हैं! लेकिन सिर्फ जवाब से काम नहीं चलेगा। थाना स्तर के पुलिसकर्मियों को सक्रिय कर अपराधों के नियंत्रण की कवायद ही असली जवाब होना चाहिये। OBJECT WEEKLY
