समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

हल्ला बोल महासंग्राम में जुटे कांग्रेस-भाजपा

दिल्ली में हल्ला बोल महासंग्राम शुरू हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 83वें महाअधिवेशन में आतंकवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कांग्रेसी नेताओं ने संघ-भाजपा पर महा हल्ला बोला! इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक हिस्से ने जोरशोर से इस हल्ला बोल कार्यक्रमों को प्रसारित करने में शिरकत की। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पूरे तेवर दिखाते हुए जज्बाती भाषा में विरोधियों पर निशाना साधा, वहीं प्रणब मुकर्जी भी विपक्ष पर हल्ला बोल में पीछे नहीं रहे। दिग्विजय सिंह तो संघ-भाजपा पर हल्ला बोलने में अग्रणी रहने की वाहवाही लूटने के चक्कर में आरएसएस की, हिटलर की नाजी सेना से तुलना कर डाली।उधर भाजपा भी कांग्रेस के खिलाफ महासंग्राम करने हेतु जुट गई है और भाजपा ने कांग्रेस-यूपीए के घोटालों के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसम्बर को 'भ्रष्टाचार विरोधी महासंग्राम रैलीÓ आयोजित करने की घोषणा कर डाली। भ्रष्टाचार, आतंकवाद पर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर वार-पलटवार के घमासान में उलझते नजर आते हैं। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में अपना थोबडा दिखाने के लालच में दोनों ही पार्टियों के नेता शब्द बाण चला रहे हैं। लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेता और संसद के सदनों में पहुंचे उनकी पार्टी के सांसद शायद मिलीजुली सांठ-गांठ के तहत जनता के दु:खदर्दों को भूल गये हैं। भ्रष्टाचार की बात लें, तो दोनों पार्टियों में भ्रष्टाचारी, जमाखोरों-कालाबाजारियों के हिमायती और गुण्डागर्दी-दादागिरी के बूते पर आतंक फैलाने वाले असामाजिक तत्व भरे पड़े हैं। हालात ये हो गये हैं कि भ्रष्टाचारियों, जमाखोरों-कालाबाजारियों और असामाजिक तत्वों की मदद के बिना ये पार्टियां एक कदम भी आगे चलने की स्थिति में नहीं है। पिछले एक साल से अधिक समय से आम अवाम मंहगाई के चक्रव्यूह में इतना गहरा उलझ गया है कि अब उसके सामने अपनी बरबादी का मंजर देखने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा है। पिछले दस सालों में भ्रष्टाचार के जहरीले नाग ने देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेशों के कस्बों-गांवों में इस कदर शिकंजा जकड़ा है कि आम नागरिक की जान सांसत में है। उदाहरण के लिये राजस्थान को ही लें, नरेगा, पोषाहार कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार ने इस कदर जडें़ जमा ली है कि अब इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार को शिष्टाचार माना जाने लगा है।भ्रष्टाचारी हुक्कामों और कारिंदों की फौजें तैयार हैं आम अवाम की जेबें लूटने-खसौटने के लिये! राजस्थान में प्रशासन गांवों की ओर कार्यक्रम ने प्रशासन के हालात की पोल खोल कर रख दी है। प्रशासनिक अधिकारियों में भ्रष्टाचार-दुराचारण, दरिंदगी जैसी हरकतें कोई एक दिन में नहीं पनपी है। अपने नीहितार्थ राजनेताओं ने धर्म, जाति, सम्प्रदाय, साम्प्रदायिकता का जमकर दुरूपयोग किया और हुक्कामों-कारिंदों ने अपने भ्रष्ट आचारण पर आवरण डालने के लिये इन स्वार्थी नेताओं का दामन थामा। गांव, कस्बों, तहसील स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर हर एक भ्रष्ट अफसर और कारिंदे ने किसी न किसी स्थानीय अथवा राज्यस्तरीय या केंद्र स्तरीय नेता का दामन थाम रखा है। इन भ्रष्टाचारियों से सिर्फ अवाम ही परेशान हो ऐसा नहीं है। भ्रष्टाचारियों की नालायकी से अवाम के साथ-साथ उनके अपने सहयोगी भी परेशान हैं, जो ईमानदारी से सही काम करना चाहते हैं। कांग्रेस, भाजपा सहित सभी क्षेत्रिय दल अपने वर्चस्व की लड़ाई में भ्रष्टाचार की दलदल में इतने गहराई में उतर गये हैं कि उनके लिये भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे बेमानी हो चुके हैं। विकिलीक्स के खुलासों ने भी साबित कर दिया है कि देश में भ्रष्टाचारी इस कदर हावी हैं कि वे अमरीकी हित साधने और अपने मुनाफे के लिये देशहित को दरकिनार करने में किसी भी हद तक जा सकते हैं। अब वक्त का तकाजा है कि राजनैतिक दल और उनके आका अपने निजी हितों की दलदल से निकल कर देश हित की बात सोचें। अवाम को भ्रष्टाचार, अनैतिकता, गरीबी, बेरोजगारी से निजात दिलायें और स्वंय में और अपने साथियों, हुक्कामों और कारिंदों में राष्ट्रीय सोच पनपायें। इस ही में सबका भला है। OBJECT WEEKLY