समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

देश में दूसरे आपात्काल की तैयारी

बराक ओबामा के संसद को सम्बोधन के बाद दूसरे दिन से जारी संसद का अधिवेशन बिना कामकाज के चालू आहे! सरकार जेपीसी के खिलाफ और विपक्ष जेपीसी की मांग पर अडिग नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार मुद्दे को लेकर कांग्रेस भाजपा पर और भाजपा कांग्रेस पर हल्ला बोल रहे हैं।
लेकिन एक बात साफ होती जा रही है कि देश में दूसरे आपात्काल के लक्षणों ने पिछले दरवाजे से दस्तक दे दी है। जब संसद में बैठे चुनिंदा प्रतिनिधी और उनमें से ही चुने गये प्रधानमंत्री और उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों की आपस में तकरार, जिद्दोजहद के कारण संसद ठप्प हो और प्रधानमंत्री संसद सदस्यों की आम भावना को ठुकरायें तो ऐसी स्थिति साफ-साफ इंगित करती है कि देश में दूसरे आपात्काल को पिछले दरवाजे से देश पर थोपने की साजिश शुरू हो गयी है। अवाम को अब जयप्रकाश नारायण की याद सताने लगी है। अवाम, जेपी जैसी दृढ इच्छा शक्तिवाली शक्शियत को तलाश रहा है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, एलआईसी हाऊसिंग घोटाला, बड़े बिल्डरों को हाऊसिंग लोन देने में हुए बैंक घोटाले, राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला, आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाला में फंसी केंद्र सरकार का गरीबों को गेहूं मुहय्या करवाने से मुकरना, मुख्य सतर्कता आयुक्त नियुक्ति प्रकरण, देश के अवाम को मंहगाई की मार से बचाने में असफल और रूपये के हो रहे अवमूल्यन जैसे मामलों को दबाने में उलझना साफ-साफ साबित करता है कि ईमानदार की छवि वाले डॉ.मनमोहन सिंह और उनका मंत्रीमण्डल भ्रष्टाचार के छींटों से इतना बदरंग हो गया है कि 'उनके ईमानदारी के दावेÓ धरे के धरे रह गये हैं।
रही सही कसर विकिलीक्स के खुलासे पूरी करते जा रहे हैं। डॉ.मनमोहन सिंह सरकार विकिलीक्स के खुलासों पर कितनी ही लीपापोती करें, कितना ही उन्हें दबाने का प्रयास करें, लेकिन विकिलीक्स के खुलासों ने भारत सरकार को पूरी तरह बे पर्दा कर दिया है। अमरीका की मध्यस्थता में भारत के पाकिस्तान से गोपनीय समझौते का खुलासा विकिलीक्स ने ही किया है, लेकिन डॉ.मनमोहन सिंह सरकार पूरे मुद्दे को ही दबाने हेतु आमादा है।
इसही तरह भारत की सुरक्षा परिषद् सदस्यता प्रकरण की नाजुक असलियत को भी छुपाया जा रहा है, आखीर क्यों?
डॉ.मनमोहन सिंह सरकार संसद के सत्र को जाया करने हेतु इसलिये भी तुली है कि महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों से देश की जनता का ध्यान हटाया जा सके और देश की आंतरिक गम्भीर जन समस्याओं की भी अनदेखी कर जनता पर मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जमाखोरी, कालाबाजारी का दुश्चक्र मजबूत कर शोषित पीडि़त वर्ग पर सत्ता की कीलें मजबूती से ठोक सके।
डॉ.मनमोहन सिंह सरकार की हरकतों से अब साफ होता जा रहा है कि देश की जनता को अब दूसरे आपात्काल की स्थिति से रूबरू होने के लिये तैयार हो जाना चाहिये।


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