लोकतन्त्र की मर्यादाओं के हनन के साथ ही राजस्थान में
चुनावी दंगल का अन्तिम पडाव !
3 दिसम्बर, 2008 याने कि आज राजस्थान विधान सभा की 200 सीटों के लिये चुनावी दंगल का अन्तिम पडाव है। 4 दिसम्बर, 2008 को मतदान के बाद उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतदान मशीनों में कैद हो जायेगा !
राजस्थान विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने राजस्थान की जनता की जन समस्याओं और उनके विकास के मुददे को दरकिनार कर उन मुददों को उछाला जिनका राज्य के आम अवाम से सीधा-सीधा कोई सरोकार नहीं था। वहीं विज्ञापनों में आतंकवाद सहित राष्ट्रीय मुददों को भी जानबूझ कर उछाला गया कि अगर राज्य के मुददों पर चुनाव लडा गया तो भाजपा की हार ही नहीं, करारी हार निश्चित थी। ऐसी स्थिति में आम मतदाता क्या फैंसला करता है यह तो 8 दिसम्बर, 2008 को ही पता चलेगा, जब वोटों का पिटारा खुलेगा और मतगणना होगी।लेकिन राजस्थान विधान सभा चुनावों में जिन राजनैतिक पार्टियों और उनके नेताओं ने लोकतन्त्र की मर्यादाओं का जिस गैर जुम्मेदारान तरीके से हनन किया है वह निश्चित रूप से चिन्ताजनक है। राजनैतिक पार्टियों के नेताओं की भाषण शैली और विज्ञापनों में जिस तरीके की भाषा का उपयोग किया गया है वह साफ-साफ तरीके से लोकतन्त्र का अपमान है। क्या व्यक्तिगत जीत-हार लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं और मर्यादाओं से ऊपर हैं ? सोचना होगा राजनेताओं को !
बेलगाम टीम
