समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

6 अक्टूबर, 2008

अब ठनेगी नस्लवादियों की माओवादियों से !

कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी की उडीसा इकाई के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता सव्यसांची पांडा ने साफ कर दिया है कि स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या सीपीआई माओवादी ने की है। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि हत्या के बाद उन्होंने पुलिस को दो पत्र लिख कर इसकी जानकारी दे दी थी, लेकिन पुलिस ने इन चिटिठयों को भाजपा और आरएसएस के कहने पर दबा दिया। उनका तो यहां तक कहना है कि उन्होंने खबरचियों को भी जानकारी दे दी थी। अब उडीसा पुलिस इसकी जांच कराने की बात कह रही है।
माओवादी नेता सव्यसांची पांडा का यह कथन कि उन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या की जानकारी पुलिस को दे दी थी और पुलिस ने उसे दबा दिया ! अगर सही है तो अत्यन्त गम्भीर मामला है। क्योंकि बजरंगियों ने स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या का दोष ईसाइयों पर थोप कर कन्धमाल में ईसाइयों पर जो कहर बरपाया है, उसमें लगभग 45 लोगों की हत्या हुई, 450 से अधिक गांवों में 5 हजार से ज्यादा ईसाइयों के घर जला दिये गये, एक नन सहित दो महिलाओं के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। सैंकडों चर्च जला दिये गये। करोडों की सम्पत्ति नष्ट कर दी गई। लेकिन बजरंगियों के तांडव को पुलिस ने नहीं रोका ? केन्द्र से भेजी गई अर्धसैनिक बलों की 70 कम्पनियों को भी कन्दमाल जिले सहित अन्य उपद्रवग्रस्त जिलों में सही ढंग से नियुक्त नहीं करना व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का ईसाइयों पर बजरंगियों के दरिन्दगीपूर्ण अत्याचार के तांडव को "कथित झूंटा आरोप" करार देना, आदि सारे फैक्टस से उडीसा की नवीन पटनायक सरकार, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल अब सीधे-सीधे आरोपों के कटघरे में खडे हो गये हैं। सवाल उठता है कि जब कम्युनिष्ट पार्टी-माओवादी ने पत्र लिख कर स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या की जुम्मेदारी ली थी तो यह बात पुलिस ने क्यों दबाई और उसे जगजाहिर क्यों नहीं किया ? माओवादी नेता के इस आरोप की जांच क्यों नहीं हुई कि स्वामी लक्ष्मणानन्द जबरन ईसाइयों को ताकत के बूते पर धर्म परिवर्तन के लिये मजबूर कर रहे थे और इस कार्य में उन्हें स्थानीय भ्रष्ट व्यापारियों का साथ हांसिल रहा ! मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आज तक कंदमाल के उजडे 450 गांवों में क्यों नहीं गये ? बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? जबकि विश्व हिन्दू परिषद खुद बजरंगियों को हिन्दू मिलिटेंट आउटफिट मानती है।
अब भी माओवादी नेता सव्यसांची पांडा ने पुन: साफ-साफ आरोप लगाया है कि भाजतीय जनता पार्टी धर्मान्तरण का मुददा देश भर में फैला कर चुनाव जीतना चाहती है क्योंकि राम मंदिर मुददा भाजपा के लिये फ्लाप शो हो चुका है और चुनाव नहीं जिता सकता ! अब भाजपा धर्मान्तरण मुददे पर एक तीर से दो शिकार करना चाहती है। एक तरफ वोटों की खेती और दूसरी तरफ ईसाइयों, बौद्धों, जैन व आदिवासियों में ताकत के बूते पर आतंक फैला कर उनका हिन्दू धर्म में धर्मान्तरण करने की साजिश ! माओवादी नेता पांडा ने यह भी साफ कर दिया है कि वे ताकत के बूते पर बजरंगियों द्वारा किये जा रहे धर्मान्तरण के खिलाफ है। उन्होंने चेताया है कि जो लोग ऐसा करेगें उनका भी लक्ष्मणानन्द जैसा हश्र होगा ! अत: अब साफ हो गया है कि हिन्दू आतंकवाद का मुकाबला उनकी ही भाषा में माओवादी करेगें। देखना यह है कि अब सत्ता में बैठे सत्ताधीश और सत्ता प्राप्ति में लगे भूतपूर्व सत्ताधीशों का क्या रूख होगा ?
बेलगाम टीम