समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

23 सितम्बर, 2008

भाजपाई जैनियों की आक्रोश जताने की नौटंकी !

बांसवाडा में दिगंम्बर जैन समाज की रथयात्रा से लौटते समय आचार्य रयणसागर महाराज के पदयात्रा मार्ग पर अशुद्ध पदार्थ फैंकने और जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा मामले में लीपापोती करने व जैन समाज के सदस्यों पर मुकदमें बनाने के खिलाफ पूरे प्रदेश में समस्त जैन समुदाय में गहरा आक्रोश है। जयपुर में इस गंभीर मुददे पर, लीपापोती करने के लिये, बडी चौपड पर दो घण्टे का धरना लगाया गया। धरने की बागडोर भाजपाई जैनियों के हाथ में रही और वे इस प्रकरण में आक्रोशित जैन समाज के गुस्से को लीपापोती कर शान्त करते नजर आये। ये वो ही भाजपाई जैनी हैं जिन्होंने ऋषभदेव प्रकरण में पूरे क्षेत्र में जैन समाज के लोगों पर हमला करने, सम्पत्ति का नुकसान करने के खिलाफ जैन समाज की नाराजगी का फायदा उठाकर जैन समाज का अगडा बनकर मुख्यमंत्री और उनकी भजन मण्डली से नजदीकियां बनाने की कोशिश की ! जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित करने के मामले में भी भाजपा के पक्ष में लीपापोती करो-पानी फेरो अभियान चलाया। साबुन बनाना-बेचना एक बात है और समाज के लिये संघर्ष करना दूसरी बात है। ऐसे लोगों से हमें एक ही बात कहनी है "चाहे घुस जाओ भाजपा की झोली में ! पर भाजपाई जैनी बन कर जैन समाज को नुकसान मत पहुंचाओ !"
बेलगाम टीम