उडीसा-कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाओ !
बजरंगियों की लगाम कसो !
उडीसा और कर्नाटक में गरीब दलित ईसाईयों पर बजरंगियों द्वारा जो हमले किये जा रहे हैं वे तो निन्दनीय हैं ही ! लेकिन हिन्दुत्ववादी आरएसएस के इस उत्पाती अग्रिम संगठन पर उडीसा और कर्नाटक सरकार द्वारा नकेल नहीं लगाना भी गंभीर आपत्तिजनक है। उडीसा में विश्व हिन्दू परिषद् के एक स्थानीय कार्यकर्ता की माओवादी उग्रवादियों द्वारा की गई हत्या से उपजी यह साम्प्रदायिक हिंसा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के असली चेहरे को बेनकाब करती है। ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स को उनकी गाडी में बच्चों सहित जब बजरंगी दारासिंह एण्ड कम्पनी ने जिन्दा जला दिया था, तब तो हिंसा का ऐसा तांडव नहीं हुआ था, जो आज उडीसा और कर्नाटक में हो रहा है। तब तो आरएसएसपंथी बिलों में घुस गये थे। जबान तालू से चिपक गई थी। आज सत्ता में बैठ कर आंखें तरेर रहे हैं।
अब वक्त आ गया है ! केन्द्र सरकार को पहल कर विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाना चाहिये। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य सरकारों को स्पष्ट चेतावनी देकर अनुच्छेद 356 के तहत इन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये ताकि इन राज्यों में बजरंगी उग्रवादियों पर लगाम कसी जा सके !
