17 सितम्बर, 2008
हिम्मत है तो एक पांत में बैठो राजनेताओं !
आतंकवादियों की दरिंन्दगीपूर्ण करतूतों के कारण पूरा देश गमगीन है ! वही आतंकवादियों की हैवानियत की आड लेकर कडे कानूनों की वकालत करने वाले दिग्गज राजनेता और उनकी भजन मण्डली ही जब, देश में नफरत फैलाने के लिये इन्सानियत की होली का दहन करनेवालों की बगलगिरी करे तो आम अवाम माथा ही ठोक सकता है और क्या करे !
देश में आतंकवादी अपनी हैवानियत भरी करतूतों को अन्जाम दे रहे हैं बेलगाम ! ऐसे वक्त में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य के अग्रिम संगठन बजरंग दल वगैहरा ने कन्दमाल में स्वामी लक्ष्मणानन्द की माओवादियों द्वारा की गई हत्या की आड में उडीसा, कर्नाटक व गुजरात में निरापराध ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसक आन्दोलनात्मक गतिविधियां चला रखी है। राजस्थान में भाजपानीत राज्य सरकार ने जाटों को जाटों से, गुर्जरों को गुर्जरों से, गुर्जरों को मीणों से, जैनो को आदिवासियों से लडाने में कोई कोर कसर नहीं छोड रखी है।
क्या आतंकवादियों के बम धमाकों का, उडीसा-कर्नाटक में ईसाइयों पर हमले कर मुकाबला किया जा सकता है ? क्या जयपुर बम काण्ड का मुकाबला जातीय वैमनस्यता की खाई को चौडा कर किया जा सकता है ? जबाव मिलेगा "नहीं" तो फिर क्यों जातीय वैमनस्यता की खाई चौडी कर रहे हैं आरएसएस और भाजपा अपने अग्रिम संगठनों के जरिये ? साफ जवाब है, आने वाले चुनावों के लिये हिन्दू वोटों को कन्सोलीडेट करने के लिये ही सोची-समझी रणनीति के तहत भाजपा ऐसा करवा रही है। आतंकवादियों की घृणित करतूतों पर तो भाजपा एण्ड कम्पनी केवल मगर के आंसू बहा रही है, बाकी लेनादेना कुछ भी नहीं है। अमरीका का राग अलापने वाले देश के राजनेताओं हिम्मत है तो एक पांत में बैठो और मिलजुल कर आतंकवाद के खिलाफ लडने की रणनीति बना कर मोर्चे पर उतरो या फिर........
बेलगाम टीम
