समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

17 सितम्बर, 2008

हिम्मत है तो एक पांत में बैठो राजनेताओं !

आतंकवादियों की दरिंन्दगीपूर्ण करतूतों के कारण पूरा देश गमगीन है ! वही आतंकवादियों की हैवानियत की आड लेकर कडे कानूनों की वकालत करने वाले दिग्गज राजनेता और उनकी भजन मण्डली ही जब, देश में नफरत फैलाने के लिये इन्सानियत की होली का दहन करनेवालों की बगलगिरी करे तो आम अवाम माथा ही ठोक सकता है और क्या करे !
देश में आतंकवादी अपनी हैवानियत भरी करतूतों को अन्जाम दे रहे हैं बेलगाम ! ऐसे वक्त में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य के अग्रिम संगठन बजरंग दल वगैहरा ने कन्दमाल में स्वामी लक्ष्मणानन्द की माओवादियों द्वारा की गई हत्या की आड में उडीसा, कर्नाटक व गुजरात में निरापराध ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसक आन्दोलनात्मक गतिविधियां चला रखी है। राजस्थान में भाजपानीत राज्य सरकार ने जाटों को जाटों से, गुर्जरों को गुर्जरों से, गुर्जरों को मीणों से, जैनो को आदिवासियों से लडाने में कोई कोर कसर नहीं छोड रखी है।
क्या आतंकवादियों के बम धमाकों का, उडीसा-कर्नाटक में ईसाइयों पर हमले कर मुकाबला किया जा सकता है ? क्या जयपुर बम काण्ड का मुकाबला जातीय वैमनस्यता की खाई को चौडा कर किया जा सकता है ? जबाव मिलेगा "नहीं" तो फिर क्यों जातीय वैमनस्यता की खाई चौडी कर रहे हैं आरएसएस और भाजपा अपने अग्रिम संगठनों के जरिये ? साफ जवाब है, आने वाले चुनावों के लिये हिन्दू वोटों को कन्सोलीडेट करने के लिये ही सोची-समझी रणनीति के तहत भाजपा ऐसा करवा रही है। आतंकवादियों की घृणित करतूतों पर तो भाजपा एण्ड कम्पनी केवल मगर के आंसू बहा रही है, बाकी लेनादेना कुछ भी नहीं है। अमरीका का राग अलापने वाले देश के राजनेताओं हिम्मत है तो एक पांत में बैठो और मिलजुल कर आतंकवाद के खिलाफ लडने की रणनीति बना कर मोर्चे पर उतरो या फिर........
बेलगाम टीम