समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

12/9/2008

स्कूली बैग बटेगें या नहीं ! हकीकत बताये सरकार !

चर्चा है कि अनियमितताओं और सत्र के मध्य बांटने पर आपत्ति जैसे कारणों के मद्देनजर राजस्थान सरकार ने छात्र-छात्राओं को बांटे जानेवाले 70 लाख स्कूली बैगों के वितरण की योजना रद्द कर दी बताई जाती है। हालांकि सरकार की तरफ से कोई शासकीय घोषणा नहीं की गई है। लेकिन शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों के पास अभी तक बैग नहीं पहुंचे हैं। वहीं स्कूली छात्र-छात्राओं को वितरित की जानेवाली साइकिलों और दुपहिया वाहनों के बारे में भी जानकारी नहीं है कि क्या राज्य के शिक्षा विभाग ने उक्त साइकिलें व दुपहिया वाहन वितरण के लिये जारी कर दिये हैं ? अथवा उन्हें भी इस सत्र् में नहीं बांटा जायेगा।
चुनाव आचार संहिता किसी भी वक्त लागू हो सकती है, ऐसे में 70 लाख स्कूली बैग, हजारों साइकिलों और स्कूटी/दुपहिया वाहनों का आचार संहिता लागू होने से पूर्व वितरण नामुमकिन सा ही लगता है। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिये कि वास्तविक स्थिति स्पष्ट करे और अवाम को बताये कि हकीकत क्या है ?
बेलगाम टीम