भाजपा सरकारों की विदाई का वक्त आ गया है !
भारतीय जनता पार्टी को अब लगने लगा है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश में उनका सूपडा साफ होने की नौबत आगई है। दोनों प्रदेशों में भाजपा की दिन प्रतिदिन होती जा रही पतली हालत से छत्तीसगढ में भी सलवा जूडूम से सख्त नाराज आदिवासियों का भाजपा के प्रति आक्रोश गहराता जा रहा है। राजस्थान के गंगानगर जिले के कमीनपुरा गांव में शूगर मिल व अन्य कार्यों के शिलान्यास, लोकार्पण-नींव पत्थर रखने के 7 कार्यक्रमों के बाद आयोजित मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की आमसभा में आई महिलायें श्रीमती वसुन्धरा राजे के भाषण के दौरान ही पांडाल छोड कर चली गई। सभा में आये मंत्री, भाजपा सांसदों और विधायकों के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने घोषणाओं का पिटारा खोलना शुरू किया तो भी आमसभा में आये लोगों ने उन्हें कोई तव्वजों नहीं दी और वे सभास्थल से उठकर जाते रहे। नतीजन मुख्यमंत्री को बीच में ही अपना भाषण समाप्त करना पडा।
राजस्थान की जनता भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार के मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री के शिलान्यास-नींव पत्थर लोकार्पण कार्यक्रमों को यह कहकर नजरन्दाज कर रही है कि पिछले 4 सालों में भाजपा की सरकार गुर्जरों को गुर्जरों से, गुर्जरों को मीणों से, जैन समाज को आदिवासियों से, हिन्दुओं को मुसलमानों-ईसाइयों से लडवाने तथा राज्य के भाईचारे को नफरत में बदलने में लगी रही। प्रदेश में मंहगाई, कालाबाजारी, जमाखोरी चरमसीमा पर है। महिलाओं-बच्चों पर अत्याचार, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों का उत्पीडन अपनी सीमा लांद्य चुका है लेकिन पिछले चार सालों में भाजपा सरकार को जनसमस्याओं को सुलझाने, जनता की सुध लेने की फुरसत नहीं मिली और अब शिलान्यासों-नींव पत्थरों में अटक गई। जो सरकार आम अवाम के दु:ख दर्दों में हमसफर नहीं हो सके उससे तो तौबा करना ही ठीक है। पार्टी द्वारा करवाये गये चुनाव पूर्व सर्वे ने भी भाजपाइयों की असलियत उजागर कर दी है कि इन राज्यों में भाजपाईयों का विदाई का वक्त आ गया है।
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