23/8/2008
स्पेशल आपरेशन ग्रुप की पोल खुली !
आखीर स्पेशल आपरेशन ग्रुप के आपरेशन की पूरी तरह हवा निकल गई ! खुल गई है, एस.ओ.जी. नाम के इस ढोल की पोल ! अहमदाबाद पुलिस के हरकत में आने के बाद राजस्थान की एस.ओ.जी. कुम्भकर्णी नींद से जागी और बिना सोचे समझे उसने उठा लिये एक ही समुदाय के लगभग दर्जनभर निर्दोषों को और पूछताछ में सिफिर रहने पर छोडने के लिये मजबूर हो गई, अब इन निर्दोषों को !जयपुर बम ब्लास्ट को सुलझाने में निकम्मी और नाकारा साबित हुई पुलिस के इस कुकृत्य ने एडीजे क्राइम और एस.ओ.जी. के अफसरों की नाकाबलियत को पूरी तरह साबित कर दिखाया है। हमने 20 अगस्त, 2008 को "बेलगाम" में "आतंकवाद बनाम हिन्दुत्ववादी सामन्तवाद" शीर्षक से साफ-साफ लिखा था कि जयपुर बमकाण्ड की जांच के लिये अनुभवी और काबिल पुलिस अफसरों की टीम चाहिये। राजनेताओं और राजनैतिक पार्टियोंके पिछलग्गुओं की जमातों के बस की बात नहीं है, जयपुर बम ब्लास्ट मामले की जांच करना ! एडीजी क्राइम ए.के. जैन की भाजपा और भाजपा नेताओं से नजदीकियां जगजाहिर है। एस.ओ.जी. में कोई एक भी अफसर गिना दो, जो जयपुर बम ब्लास्ट केस की जांच करने की काबीलियत रखता हो। सब जानते हैं एस.ओ.जी. में पोस्टेड कुछ अफसरों के भाजपा और भाजपा नेताओं से रिश्ते ! जयपुर बम ब्लास्ट केस को सुलझाने के लिये ऐसे अफसरों की जरूरत नहीं है। जरूरत है ऐसे अफसरों की जिनका इन्वेस्टीगेटिव सोच हो, क्राइम डिटेक्शन में माहिर हों और हों दायीत्व एवं कर्तव्य के प्रति समर्पित जैसे था एकलव्य ! काबीलियत हो अर्जुन की तरह मछली की आंख के मोती को बींधने जैसी ! हम यहां किसी अफसर की आलोचना कर उसे हतोत्साहित नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं की राजस्थान की पुलिस में से काबिल अफसरों की क्रीम निकाल कर उसे इस काम में लगाया जाये !
आतंकवाद का रोना रोकर राजस्थान में राजस्थान संगठित अपराध नियन्त्रण विधेयक जैसा कानून लाने के हिमायतियों के मुंह पर भी राजस्थान पुलिस की जांच करने के तौर तरीकों और पुलिस को मिली असफलता ने गहरा तमाचा जडा है। ऐसी नकारा पुलिस के हाथ में सख्त कानून देना "गंजे के हाथ में नाखून देने" के बराबर है। यह साफ तौर पर साबित हो गया है।
खबरची मीडिया ने पुलिसिया करतूतों को जिस तरह अहमियत दी और मिर्च-मसाला लगा कर खबरें उडायीं, उससे आम अवाम के जहन में "आरूषि हत्या काण्ड" फिर से ताजा हो गया। पुलिस और खबरची मीडिया के कारण निर्दोषों को और उनके परिवारों को प्रताडना मिल रही है। मेडीकल प्रोफेशन पर काला धब्बा लगा है। उनकी जो बेइज्जती हुई, जो अपमान हुआ, उसकी भरपाई अब कौन करेगा ? बताये इसके लिये जुम्मेदार पक्ष !
अब भी वक्त है, जयपुर बम ब्लास्ट मामले की जांच के लिये अहम फैंसले लेने का ! मामले में संजीदा फैंसला लेने का ! देखिये, आगे-आगे होता है क्या ?
हीराचंद जैन
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