सत्ता के भूखे मौत के सौदागरों, जनता से कब तक बचोगे !
एक ही इलाके में चार जनों की मौत और डेढ सौ से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती ! 400 लोगों का विशेष चिकित्सा शिविरों में इलाज चल रहा है। लेकिन मौतों और हादसे की जुम्मेदारी से पल्ला झाड रहे हैं राजनेता और नौकरशाह !
जी हां ! राजस्थान में मीडिया में विज्ञापनों के जरिये धुंआधार प्रचार की बैसाखी पर टिकी भाजपानीत मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धराजे सरकार की मुख्यमंत्री और उनके केबीनेट के सहयोगियों की नाक के नीचे राजधानी जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके में पिछले चार दिनों में चार लोगों की मौत हो चुकी है और डेढ सौ से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। शास्त्रीनगर इलाके की परबतपुरिया, चांदमारी बट भट्टा बस्ती, तेलीपाडा, व्यास कालोनी, इन्दिरा कालोनी सहित अन्य इलाकों के वाशिन्दों का आरोप है कि पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से लगातार दूषित पानी की सप्लाई के कारण क्षेत्र के लोगों पर उल्टी-दस्त के भंयकर प्रकोप का पहाड टूट पडा है। बेलगाम में हमने दिनांक 19 अगस्त, 2008 को उठाया था, इस मुददे को "पानी उतारेगा-पानी सरकार का" ! लेकिन सरकार पस्त है और मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के विश्वस्त-सारथी जलदायमंत्री सांवरलाल जाट मानने को ही तैयार नहीं हैं कि दूषित पानी से मौते हुई हैं। सांवरलाल जाट ने पहिले भी लक्ष्मी नारायणपुरी हादसे के वक्त यही राग अलापा था, जहां दूषित पानी के चलते आधा दर्जन लोगों को अपनी जान गंवानी पडी थी। अब फिर वही पुराना राग ! सब सही है।अब सवाल उठाता है कि आखीर कुछ इलाकों में ही ये हादसे क्यों हो रहे हैं ? पहिले लक्ष्मीनाराणपुरी में ! अब शास्त्रीनगर में ! एक हादसा और होते होते बचा हसनपुरा "ए" इलाके में ! जहां दस से ज्यादा बच्चे उल्टी दस्त से पीडित हैं और वहां नलों से पेयजल सप्लाई रोक दी गई है, दूषित पानी के कारण।
दूषित पानी के लिये दो विभाग साफ-साफ तौर पर जुम्मेदार है। एक जलदाय विभाग और दूसरा जयपुर नगर निगम। जलदाय विभाग के अफसरों का साफ-साफ खुल्लम खुल्ला आरोप है कि नगर निगम की गलती से आये दिन सीवर लाइने-चैम्बर जाम रहते हैं और इनके पास से गुजर रही पाईप लाइनों में गन्दगी लीक होकर मिल जाती है। गलती नगर निगम की और सजा मिल रही है जलदाय विभाग को !
जयपुर नगर निगम के हवामहल जोन पूर्व व हवामहल पश्चिम के चार दिवारी क्षेत्र, विद्याधर नगर जोन के शास्त्रीनगर इलाके, सिविल लाइन जोन के हसनपुरा, शान्तिनगर, रेल्वे स्टेशन व बस स्टेण्ड इलाकों में सफाई व्यवस्था बद से बदतर हाल में है। जयपुर नगर निगम के महापौर और उनके अधीनस्थ अफसर भ्रष्टाचार की गंगा में गले तक डूबे हैं। जयपुर नगर निगम में मेयर अशोक परनामी का जंगलराज चलता है। बिना कमीशन या टेबिल के नीचे की डील के कोई अफसर काम ही नहीं करता है। बेशर्म इतने हैं कि अगर इनकी बेइज्जती कर दो तो भी बिना लेन-देन के काम नहीं करेगें। कमीशनखोरी तो इनका जन्मजात अधिकार है। मेयर से लेकर नीचे तक कमीशन की रेट फिक्स है। बन्धी देने पर ही बिल साइन होते हैं। ऐसी हालत में नगर निगम के अफसरों से सफाई व्यवस्था चुस्त दुरूस्त करने की कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे, जलदायमंत्री सांवरलाल जाट, स्वायत्त शासन मंत्री सुरेन्द्र गोयल को जयपुर से चुनाव तो लडना नहीं है। जयपुर नगर निगम के महापौर को भी जनता बाहर का रास्ता नपवाने पर तुली है। ऐसे में वे क्यों ध्यान दें समस्याओं की ओर ? एक बात साफ हो गई है कि जो सरकार अपनी राजधानी क्षेत्र को नहीं सम्भाल सकती है, वह क्या राजस्थान को सम्भालेगी ? सत्ता के भूखे मौत के सौदागरों को इस बात को भी जहन में उतार लेना चाहिये कि वे जनता के कोप से कब तक बचेगें ? जनता से दूर-भागो, भागो कहां तक भागोगे ? जनता विज्ञापनों के झूंटे मोहजाल में फंसने वाली नहीं है। असलियत यह है कि मौते हो रही है, लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड हो रहा है ! जुम्मेदार चाहे जलदाय विभाग हो या फिर नगर निगम या चिकित्सा विभाग ! लेकिन इसके लिये खुद मुख्यमंत्री उनके जलदायमंत्री सांवरलाल जाट, स्वायत्त शासन मंत्री सुरेन्द्र गोयल, जयपुर नगर निगम के मेयर अशोक परनामी ही व्यक्तिगत रूप से जुम्मेदार हैं, क्योंकि वे इन विभागों के मुखिया हैं। देखते हैं जनता के प्रति अपनी जुम्मेदारी निभाते हैं या नहीं।
हीराचंद जैन
