आतंकवाद बनाम हिन्दुत्ववादी सामन्तवाद !
आतंकवाद की आड में हिन्दुत्ववादी-नात्सीवादी सामन्तवाद की जडे सींचने के लिये जोरशोर से शोर-शराबा किया जा रहा है कि केन्द्र सरकार राजस्थान में राजस्थान संगठित अपराध नियन्त्रण विधेयक को मंजूरी दे। जिसके जरिये पुलिस को किसी भी नागरिक को हिरासत में लेने, उसे लम्बे समय तक हिरासत में रखने, पूछताछ के बहाने प्रताडित करने, परिजनों का उत्पीडन करने के असीमित अधिकार मिल जायें और जिनका राजनैतिक प्रतिद्वन्दियों के खिलाफ जमकर दुरूपयोग किया जा सके।
जयपुर बम ब्लास्ट को ही लें। तीन महिने बीत चुके हैं, राजस्थान पुलिस आतंकवादियों की परछांई को भी नहीं ढूंढ पाई है। अब एक बात तो बिलकुल साफ है कि बम काण्ड मामले की जांच के लिये किसी नये कानून की जरूरत नहीं है। जरूरत है काबिल जांच अफसरों की। जरूरत है ऐसे अफसरों की, जो जनता के प्रति वफादार हों ! जिन में कर्तव्यपरायणता कूट-कूट कर भरी हो ! जो अपने काम के प्रति निष्ठावान हो और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखते हों ! जरूरत है ऐसे अफसरों की जिन के कर्तव्य निर्वहन पर प्रशासनिक एवं राजनैतिक दबाव न हो ! ऐसे कर्तव्यनिष्ट अफसरों को उपलब्ध कराया जाये आतंकवादियों का डाटा बेस, उपलब्ध कराये जायें संसाधन ! उन्हें मदद की जाये आतंकवाद के खिलाफ अन्य राज्यों व केन्द्र से बेहत्तर तालमेल में ! गुजरात पुलिस राजस्थान के लिये सबक के रूप में उभरी है। नसीहत लो गुजरात से !
राजस्थान में आतंकवाद जैसे चुनौती पूर्ण मुददे पर मोर्चा लेने में भी निकृष्ट राजनीति हावी रही। राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि आईपीएस और आरपीएस अफसरों की इतनी लम्बी चौडी फौज में क्या कोई ईमानदार-निष्ठावान-कर्तव्यपरायण काबिल अफसर है ही नहीं या ऐसे अफसरों को निम्नस्तरीय राजनीति की दलदल के चलते इस महत्वपूर्ण संगीन मामले में नहीं लगाया जा रहा है।
अगर अफसर ना-काबिल हैं तो उन्हें तत्काल हटाया जाये ! अन्यथा साफ है कि आतंकवाद की आड लेकर हिन्दुत्ववादी-नात्सीवादी सामन्तवाद की जडें जमाने मात्र के लिये नये कानून के लिये झुंझुना बजाया जा रहा है ताकि उसकी आड में आम अवाम का दमन किया जा सके। आतंकवाद तो मात्र बहाना है। राजस्थान की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार की लगता है जयपुर बम ब्लास्ट मामले को सुलझाने में बिलकुल दिलचस्पी नहीं है। अब तो बोलो भाई राजस्थान सरकार के विज्ञापन की भाषा में "मैं खुश हूं" .......... "जय जय राजस्थान"
हीराचंद जैन
