आडवानी चले जिन्ना से अमरनाथ की ओर !
चर्चा जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी अपनी उदारवादी छवी बनाते-बनाते अब वापस कट्टर हिन्दूवादी बनने की कोशिश में जुट गये हैं और इस ही क्रम में वे एक नई रथ यात्रा की जुगत बैठा रहे हैं। इस बार उनका इरादा रामेश्वरम् से अमरनाथ की रथयात्रा करने का बताया जा रहा है। आडवानी की अयोध्या यात्रा के खून से रंगे दु:खदायी-मानवीय पीडा के क्षण आज भी देश की जनता नहीं भूली है। नहीं भूली है उन क्षणों का वे मातायें, जिन्होंने अपने लाल गंवाये ! वे पत्नियां, जिनकी मांग का सिन्दूर उजड गया ! उन मासूमों के जहन में आडवानी की अयोध्या यात्रा नासूर की तरह जमी हैं, जो अनाथ हो गये ! अब आडवानी अपनी मण्डली और आरएसएस, विश्वहिन्दू परिषद् सहित संद्य के अग्रिम संगठनों के साथ मिल कर देश में हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच वैमनस्यता की खाई चौडी कर, हिन्दू वोट बैंक को एकजूट कर, दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की जुगत बैठा रहे हैं। इस के लिये आडवानी ने रास्ता चुना है, रामेश्वरम् से अमरनाथ रथ यात्रा का ! सत्ता के भूखे इन नस्लवादियों की नजर में देश के सामने मौजूदा चुनौतियों, बदहाल अर्थव्यवस्था, देश के आन्तरिक व बाहरी मामलों में बढ रही अमरीकी दखलंदाजी, मंहगाई सहित अन्य गम्भीर मुददों की कोई अहमियत ही नहीं है। जनता पूंजीपतियों-सामन्तवादियों के अन्याय-अत्याचारों से त्रस्त है, लेकिन ये देश में अलगाव की आग फैला कर सत्ता पर काबिज होने की जुगत बैठा रहे हैं। इन नस्लवादियों को समझ लेना चाहिये कि वे जाने अनजाने में देश को खूनी क्रान्ति के रास्ते पर लेजा रहे हैं और शायद आडवानी की रथ यात्रा से ही सम्पूर्ण क्रान्ति की शुरूआत हो जाये ! हम यही उम्मीद कर सकते हैं कि हालात हमें खूनी क्रान्ति की तरफ न ले जायें।
हीराचंद जैन
