समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

12/8/2008

भारतीय सेना-अणुशक्ति परियोजना के जवानों को सलाम !

रविवार को राजस्थान में कोटा के गैपरनाथ महादेव मंदिर की सीढियां ढह जाने के कारण लगभग ढाईसौ फीट नीचे पिकनिक स्थल पर फंसे 139 लोगों को सोमवार को भारतीय सेना के जांबाज कमाण्डो ने अणुशक्ति परियोजना की क्रेन और दिलेर अफसरों-कर्मचारियों के सहयोग से सकुशल निकाल लिया। भारतीय सेना के जांबाज और अणुशक्ति परियोजना के दिलेर अफसरों-कर्मचारियों को बेलगाम टीम का सलाम ! शाबास बहादुरों ! आपने कठिन परिस्थितियों में मौत के मुंह में फंसे लोगों को आत्मविश्वास, अनुशासन में रहकर अपनी दिलेरी से बचाया ! हम आपकी दिलेरी और स्वाभीमान को पुन: सलाम करते हैं !
लेकिन अफसोस इस बात का है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री उनके मंत्रीमण्डल के सहयोगी मंत्रियों की जबान से इन बहादुरों के लिये एक शब्द भी शाबासी का नहीं निकला ! भाजपानीत राजस्थान के श्रीमती वसुन्धरा राजे मंत्री मण्डल का एक भी बन्दा मौके पर नहीं पहुंचा, मुसीबत में फंसे लोगों की खैर खबर लेने ! लगभग डेढ सौ लोग 24 घण्टों से अधिक गहरे संकट में फंसे रहे और मुख्यमंत्री, मंत्रीमण्डल के सहयोगियों और चुनिन्दा जनप्रतिनिधियों को फुर्सत भी नहीं मिली उनकी खैर खबर लेने की ! मौके पर जाकर पीडितों की हौंसला हफजाई की ! इससे बडी शर्मनाक बात क्या होगी ? अब आम अवाम ही तैय करे कि किसे शर्म आनी चाहिये ! एक बात और-- आपदा प्रबन्धन के नाम पर प्रशासन के पास कुछ था तो -- सिर्फ जिला कलक्टर अभय कुमार ! बाकी टांय-टांय फिस्स !
बेलगाम टीम
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