समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

05/8/2008

राजस्थान की श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार बेलगाम !

राजस्थान में जन समस्याओं का अम्बार लगा है। चाहे पीने के पानी की समस्या हो, सरकारी हुक्कामों की शह पर अतिक्रमण हों, कानून और व्यवस्था की दयनीय स्थिति हो, बिजली के बिलों के करंट से पीडित उपभोक्ता हो, शिक्षा की बदहाली से पीडित बच्चे हों, चिकित्सा व्यवस्था की दुर्गति से मरीज परेशान हों और शहरी क्षेत्रों में गन्दगी के ढेरों से परेशान आम अवाम हो ! सरकार का आम अवाम की दिक्कतों-परेशानियों को दूर करने का लगता है,कोई सोच ही नहीं है। राजस्थान में भाजपानीत वसुन्धरा राजे सरकार के मंत्री मण्डल के सदस्य चुनाव आचार संहिता के हथौडे से डर कर, आचार संहिता लागू होने से पहिले-पहिले शार्टकट अपना कर होलसेल में उद्द्याटन-शिलान्यास करने में जुटे हैं। प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया को थोक में विज्ञापन दिये जा रहे हैं। गुर्जर आन्दोलन के दौरान आन्दोलन को कुचलने के लिये राज्य सरकार को तहेदिल से मदद करनेवाले एक इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनल पर तो राज्य सरकार इस कदर मेहरबान है और उसे इतने विज्ञापन दे रही है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। इससे पहिले इस चैनल पर आंध्र की कांग्रेसी सरकार के चलते हथौडे से बचाव में भी भाजपा कूदी थी। राजस्थान के भाजपाईयों का सोच है कि मीडिया को नोटों के जोर पर कब्जे में करने से वोटो की खेती उसकी झोली में होंगी ! लेकिन जनता का साफ सोच है कि उसके दु:खदर्दों को दूर करने के बजाय मीडिया प्रचार के जरिये या बैग-साइकिलें-स्कूटी या अन्य उपहार बांट कर अवाम को बेवकूफ बनाने वाले सत्ताधीशों को पंसेरीछाप सबक सिखाया जाये ताकि आनेवाली सत्ता और सत्ताधीशों के सामने अवाम से बेरूखी से पेश आनेवाले सत्ताधीशों के हश्र की मिसाल ताजा रहे। हुजूर सत्ताधीशों सुनों यह पटटताल ! "खुलाखेल फरूक्खाबादी-भाजपा ने हारीबाजी !"
हीराचंद जैन
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