समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

07/8/2008

सभी साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले आतंकियों पर प्रतिबन्ध लगाओ !

स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इण्डिया पर लगे प्रतिबन्ध को निरस्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट की ट्रिव्यूनल के फैंसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। अब सिमी पर प्रतिबन्ध कायम रहेगा। सिमी पर प्रतिबन्ध लगना चाहिये या नहीं, इसका निर्णय कार्यपालिका और न्यायपालिका को ही करना है। लेकिन इस मुद्दे से आगे भी कुछ है। सिमी पर आतंकवाद फैलाने के शक को लेकर प्रतिबन्ध लगा है। क्या देश में ऐसे हिन्दू संगठन नहीं हैं, जिनकी साम्प्रदायिक वैमनस्यता फैलाने वाली करतूतों से देश की जनता आतंकित है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य और उनके अग्रिम संगठन विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल व अन्य संगठनों ने देश में जितना उत्पात मचाया है या मचा रहे हैं, उतना तो सिमी ने भी शायद नहीं मचाया होगा। तो अकेले सिमी पर ही प्रतिबन्ध क्यों ? सिमी के साथ-साथ उन सभी हिन्दू, मुस्लिम व अन्य आतंकवादी-साम्प्रदायिक उन्माद फैला कर देश की जनता में असुरक्षा की भावना पैदा वाले, संगठनों पर तत्काल रोक लगनी चाहिये। देश को साम्प्रदायिक उन्माद, आतंकवाद से छुटकारा दिलाने की जुम्मेदारी कार्यपालिका व न्यायपालिका की है। अत: राष्ट्रीय दृष्टिकोण के मददेनजर इस समस्या का समग्र हल निकाला जाना चाहिये। मात्र एक संगठन पर ही प्रतिबन्ध लगने से समस्या का हल निकलने वाला नहीं है।
हीराचंद जैन
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