समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

04/08/2008
जरा हिन्दू हुडदंगियों और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी की हरकतों पर गौर फरमाइये !

अमरनाथ श्राइन बोर्ड जमीन प्रकरण में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य, बजरंगदल, वीहिप और भाजपाई हुडदंगियों ने जम्मू और दिल्ली में बेलगाम हुडदंग मचाया है, जिसकी जितनी निन्दा की जाये कम होगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवानी से आग्रह् किया कि इन हुडदंगियों को रोको ! आडवानी ने फरमाया, नहीं ! पहिले जमीन दो ! जबकि हकीकत यह है कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन अलॉट करने के बजाय जम्मू-कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रा व्यवस्था की सारी जुम्मेदारी वहन करने का निर्णय लेकर इसकी द्योषणा भी कर दी ! यात्रा बिना किसी हादसे के निर्विघ्न रूप से चल रही है और चलती रहेगी, मिस्टर आडवानी ! अब हिन्दुओं के हिमायती बनने की नौटंकी करने वाले लालकृष्ण आडवानी एण्ड कम्पनी की इससे पहिले की हरकतों पर भी जरा गौर फरमालें !भारत में जैन समाज एक अल्पसंख्यक समुदाय है। लेकिन इसे अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं है। देश में मुसलमान 12 प्रतिशत, ईसाई 2.3 प्रतिशत, बौद्ध 0.8 प्रतिशत हैं। इन सभी को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। पंजाब, जम्मू-काश्मीर, उत्तर-पूर्व के प्रान्तों में बहुसंख्यक हिन्दुओं को भी अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया गया है। तो फिर इनसे कम जनसंख्या वाले जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा क्यों नहीं ? जैन समुदाय की जनसंख्या तो मात्र 0.4 प्रतिशत ही है।श्री एच.डी. देवेगौडा जब देश के प्रधानमंत्री थे, तब उनकी सरकार ने श्री नेमीनाथ के. को अल्पसंख्यक आयोग में अल्पसंख्यक जैन समुदाय का प्रतिनिधि सदस्य नियुक्त किया था। केन्द्र में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो इस सरकार के उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य ने सोची समझी साजिश के तहत अल्पसंख्यक आयोग से अल्पसंख्यक जैन समुदाय के प्रतिनिधि को हटा दिया। यही नहीं गुजरात और राजस्थान में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक द्योषित करने की प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डलवा दिया।राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य, भारतीय जनता पार्टी और लालकृष्ण आडवानी को भारत के प्राचीन क्रान्तिकारी इतिहास का गहराई से अध्ययन कर समझ लेना चाहिये कि भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की बपौती नहीं है। न ही यह सिन्धियों की आराम स्थली ! उन्हें समझ लेना चाहिये कि जिस तरह फिजी के अल्पसंख्यक मूल निवासियों ने हिन्दुओं की दादागिरी का जवाब दिया और उन्हें सत्ता से हटा दिया, उसही तरह भारत की प्राचीन संस्कृति जिन संस्कृति (जैन संस्कृति) और वैदिक संस्कृति के अनुयायी एक होकर संघर्ष करने पर उतारू हो गये तो बहुसंख्यक हिन्दुओं और मुसलमानों का भी वही हश्र होना है जैसा फिजी में हिन्दुओं का हुआ है। सोच लें साम्प्रदायिक ताकतें कि क्या देश में क्रान्तिकारी संघर्ष के जरिये आई सम्पूर्ण क्रान्ति से पहिले उनके सोच में बदलाव आयेगा या नहीं ? साथ ही राजस्थान, गुजरात सहित भारत गणतन्त्र में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा तत्काल मिलना चाहिये। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य और आप, अपनी पुरानी गलती सुधारिये मिस्टर आडवानी !
सौजन्य - जैन यूनाईटेड लिबरेशन फ़्रण्ट
http://julfinfo.blogspot.com/