समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

03/8/2008


भारत की आजादी की असली कहानी बयां करने वाले ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेज जगजाहिर करो !


देश की सत्ता पर काबिज होने के लिये मोहम्मद अली जिन्ना और पं. जवाहर लाल नेहरू ने श्री मोहनदास करमचंद गांधी के मार्गदर्शन में ब्रिटिश हुकुमत से सत्ता हस्तानान्तरण हेतु 1947 में "ट्रान्सफर आफ पावर" का समझौता किया। इस समझौते को वर्ष 2000 तक गोपनीय रखने का भी सत्ता के भूखे हमारे नेताओं ने अंग्रेजों से समझौता किया था। लेकिन वर्ष 2007 बीत जाने के बाद भी केन्द्र में सत्तारूढ होनेवाली कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की सरकारें इस गुप्त समझौतों को सार्वजनिक नहीं कर रही हैं।
आखीर ! ट्रान्सफर आफ पावर के इन गोपनीय दस्तावेजों में ऐसा क्या है कि केन्द्र में सत्तारूढ सरकारें इन दस्तावेजों को जगजाहिर करने से डर रही हैं ? भारत गणतन्त्र के आम अवाम का हक है कि भारतीय नेताओं और तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमत के बीच हुये इस करार की असलियत जाने। ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेज जगजाहिर होने से देश का अवाम इस सच्चाई को जान सकेगा कि 1947 में देश को आजादी मिली थी या कुछ शर्तों पर महज एक "ट्रान्सफर आफ पावर" था। ट्रान्सफर ऒफ पावर के दस्तावेज तत्काल जारी करो माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी !
हीराचंद जैन