प्रधानमंत्री जी पीएफ मैनेजमैंट के साथ-साथ अपनी सरकार चलाने का ठेका भी अम्बानियों को दे दो !
कर्मचारी भविष्यनिधी के प्रबन्धन का काम निजी हाथों में देने का सरकारी निर्णय पूरी तरह बेतुका है। लेकिन इससे भी अधिक गैर जुम्मेदारान निर्णय इस कोष के प्रबन्धन का काम एचएसबीसी और अनिल अम्बानी के स्वामित्व वाली रिलायंस केपिटल को देने का है। अम्बानियों को सैन्य क्षेत्र में मोबाईल टावर लगाने के ठेके भी दिये जा रहे हैं। ये वे ही अम्बानी हैं जिन्हें ईराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने ईराक में संचार व्यवस्था कायम करने का ठेका दिया था और इनके द्वारा स्थापित संचार व्यवस्था ही सद्दाम हुसैन के पतन का कारण बनी और ईराक पर अमरीका का कब्जा हुआ। आज अमरीका की गुलाम मनमोन सिंह सरकार और इसका पिछलग्गू पीएफ न्यासी बोर्ड मेहनतकश श्रमिकों के गाढे पसीने की दो लाख अस्सी हजार करोड रूपये की पूंजी इन अमरीकी परस्त पूंजीपतियों के कदमों में ऐसे डाल रहा है जैसे कि इनके बूते ही मनमोहन सिंह सरकार ने विश्वासमत हांसिल किया हो। अमरीकी परस्त ये पूंजीपति मेहनतकश मजदूरों की पूंजी से मोटा मुनाफा कमायेगें, लेकिन कम से कम कितना मुनाफा मजदूरों को देगें इस की कोई गारन्टी मजदूरों के शोषण में लिप्त इस अम्बानी ग्रुप ने आज तक नहीं दी है।
पीएफ न्यासी बोर्ड में जिस तरह अम्बानियों को कर्मचारी भविष्य निधी के प्रबन्धन का ठेका देने का फैंसला हुआ वह निहायत शर्मनाक है। अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चाहिये कि अपनी सरकार चलाने का ठेका भी अम्बानियों को देदे ताकि उनकी बाकी जिन्दगी चैन से बीते !
हीराचंद जैन outmail9414279658@yahoo.co.in
