समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

30/7/2008

राजस्थान में नेताओं की चुनावी उछलकूद शुरू

राजस्थान में राज्य विधान सभा के चुनाव आगामी दिसम्बर, 2008 में होने हैं। आगामी विधान सभा चुनावों के मददे नजर राज्य में राजनेताओं की उछलकूद धमाचौकडी शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी की विधान सभा चुनावों में करारी हार होने की आशंका के चलते भाजपानीत वसुन्धरा राजे सरकार जनता की गाढे पसीने की कमाई, राज्य के सरकारी खजाने को, लुटा कर जोरदार चुनाव प्रचार करने की जुगत बैठा रही है। राज्य में शिक्षा सत्र प्रारम्भ हो चुका है, पढ़ाई के लिये बच्चों को न तो समय पर किताबें मिली और न ही शिक्षक ! सत्र भी समय पर शुरू नहीं हो पाया 0। अप्रेल से 30 जुलाई तक शिक्षण कार्य सही ढंग से नही चला और बच्चों का पूरा समय बरबाद हो गया। अब भगवा ब्रिगेड को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिये सरकारी स्तर पर भाजपा के झण्डे के रंग में रंगे, भगवा और हरे रंग और श्रीमती वसुन्धरा राजे की फोटो छपे स्कूली बैग बांटे जायेंगे। इस ही तरह 25 हजार से ज्यादा भगवा रंग की साइकिलें जिन पर हरे रंग की पृष्ठभूमि पर राजस्थान सरकार लिखा होगा, बांटी जायेंगी। हरे रंग की पृष्टभूमि मे लिखने की यह नई परम्परा राजस्थान सरकार ने शायद पाकिस्तान से उधार ली है। क्यॊंकि भारत में यह परम्परा नहीं है। भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार चुनाव आचार संहित लागू होने के डर से सहमी हुई है और शार्टकट अपना कर थोक में उदद्याटन-शिलान्यास कार्यक्रम 01 अगस्त से 15 अगस्त, 2008 तक चलाने जा रही है। जहां उदद्याटन के लिये मुख्यमंत्री-मंत्री नहीं पहुच पायेंगे वहा भाजपा के छुटभय्या नेता इन कार्यक्रमों को अंजाम देंगे। चाहे काम पूरा हुआ हो या नहीं ! जी, हां ! काम पूरा हो या नहीं ? ठेकेदार बिल बनायेंगे, भुगतान होगा और कमीशनखोरों की दिवाली मनेगी ! काम और उसकी गुणवत्ता जाये भाड में !
चुनावी आहट पाकर वे पार्टियां भी सक्रिय हो गई हैं जो पिछले पांच सालों में राजस्थान में ढूंढने से भी नहीं मिली। राजस्थान विकास पार्टी, इण्डियन नेशनल लोकदल, राष्ट्रीय लोकदल, जैसी मौसमी पार्टियों की राजस्थान की जनता के संद्यर्ष में क्या भागीदारी रही, शायद इनके राष्ट्रीय नेताओं को भी पता नहीं है। लेकिन अब ये राजथान में वोट काटो-नोट छापो अभियान में जोरशोर से शिरकत करने वाली हैं। राजस्थान में मौसमी नेताओं की उछलकूद-धमाचौकडी शुरू हो गई है। आप को फुरसत हो तो करिये राजस्थान का एक दौरा इनकी उठापटक का शर्मनाक तमाशा देखने के लिये।
हीराचंद जैन
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