समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

21/7/2008
सेंसेक्स का पैंदा नजर आता देख शेयर मार्केट से छंटेगी भीड़ !

पहिले हम आजायें शेयर मार्केट के हालात पर ! सारी परिस्थितियां अनुकूल हैं। क्रुड आयल 129-131 डालर पर टिका है। डालर कमजोर है। एफआईआई खरीदी में दिलचस्पी दिखा रही है। मुद्रास्फीति लगभग स्थिर है। दुनिया के कमोडिटी बाजार में स्थिरता है। ऐसी स्थिति में बाजार में तेजी आनी चाहिये ? अब अगली बात ! अगर मनमोहन सिंह सरकार गिर गई तो हालात बदल सकते हैं। एफआईआई शार्ट कवरिंग जरूर करेगें और इससे मार्केट तेज होगा, लेकिन इसके बाद बेचने वालों की लाइन लग जायेगी। बिकवाली के चलते बाजार कहां जायेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है। सरकार गिरने के बाद अगस्त से स्टील के भाव बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। खरीददारी न होने के बावजूद उपभोक्ता वस्तुओं की जमाखोरी और सटटेबाजी के कारण कमोडिटीज के भाव बढेगें। नतीजन मुद्रास्फीति की दर बढ़ने की आशंका, देश में आन्तरिक राजनैतिक उठापटक, चुनावों तक सत्ता प्राप्ति के लिये राजनैतिक पार्टियों में खींचातानी, सांसदों के लेनदेन-मोलभाव के चलते राजनैतिक अस्थिरता से मार्केट का पैंदा 10,500 के पास नजर आ रहा है।
हां, अगर मनमोहन सिंह सरकार ने विश्वासमत हांसिल कर लिया तो मार्केट बूम पर होगा और 18 हजार पार करता नजर आयेगा। देखिये आगे-आगे होता है क्या ?
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