नक्सलवाद बनाम नस्लवाद
गत दिनों राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य के अहमदाबाद में सम्पन्न राष्ट्रीय चिन्तन शिविर में नक्सलवाद और वामपंथ के खतरे से चिन्तित राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य के शीर्ष नेताओं द्वारा इन से बौद्धिक स्तर पर निपटने की रणनीति तैयार की गई बतायी जाती है। जबकि देश को वास्तविक खतरा नस्लवादियों से है।
नस्लवादी देश में मुसलमानों को हिन्दुओं से, हिन्दुओं को ईसाइयों से, जैनों को हिन्दुओं से और हिन्दुओं को हिन्दुओं से लडा रहे हैं। जबकि वामपंथी, राष्ट्रवादी और नक्सलवादियों की अपनी अलग-अलग विचारधारा है और इन तीनों का ही नस्लवादियों से पंगा है।
अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संद्य के कर्णधार ही बता सकते हैं कि नस्लवादियों से संघर्ष जरूरी है या वामपंथियों और नक्सलवादियों से। क्या आरएसएस द्वारा नस्लवादियों को समर्थन देना, जरूरी है ? खुलासा करे आरएसएस !
हीराचंद जैन
