समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

19/7/2008

शिक्षा विभाग के अफसर निकम्मे-नकारा हैं या राजस्थान में ये नया सरकार प्रायोजित घोटाला

सरकार ने वर्ष 2008-2009 के बजट में गैर सरकारी स्कूलों-कालेजों में भर्ती और फीस के मामलों में एक नियामक आयोग बनाने की द्योषणा की थी। सरकारी अमला आयोग गठन-संचालन सम्बन्धित दिशानिर्देश तैयार करने में जुटा है।

शिक्षा विभाग के आला अफसर पिछले चार महिनों से दिशानिर्देश बनाने में जुटे हैं। कुछ काम हुआ है । अब सरकार ने यह काम ठेके पर दे दिया है दिल्ली की एक एनजीओ ग्लोबल एज्युकेशन सोसायटी की श्रीमती गौरी ईश्वरन को ! उन्हें एक लाख रूपया महिना, खासाकोठी होटल में एक कमरा और आने-जाने के लिये हवाई यात्रा की सुविधा मिलेगी। भ्रष्टाचार-द्योटालों के लिये पहिले से ही बदनाम शिक्षा विभाग में यह एक नया द्योटाला। सुनने में तो यह भी आया है कि ये एनजीओ भारतीय जनता पार्टी के एक बडे नेता की करीबी हैं।

जनता को फैंसला करना होगा कि शिक्षा विभाग के आला अफसर निकम्मे और नाकारा हैं या बेलगाम राजस्थान सरकार का ये नया द्योटाला है ?

हीराचंद जैन

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