16/7/2008
स्पीकर पद से इस्तीफा क्यों दें सोमनाथ दा ?
मार्क्सवादी पीछे पडे हैं सोमनाथ दा के ! इस्तीफा दो ! इस्तीफा दो ! दादा ने साफ कर दिया है कि वे लोकसभा के स्पीकर हैं और इस पद से इस्तीफा नहीं देंगे।अगर उन पर दबाव डाला गया तो वे स्पीकर पद के साथ-साथ लोकसभा सदस्यता से भी इस्तीफा दे देगें। मार्क्सवादियों ने ज्यादा दबाव डाला तो दादा ने साफ कर दिया है कि वे पार्टी से भी इस्तीफा दे देगें।
आखीर ! सोमनाथ दा लोकसभा स्पीकर पद से क्यों इस्तीफा दें ? मार्क्सवादी क्यों सोमनाथ दा पर इस्तीफा देने का दबाव बना रहे हैं ? समझ के परे है ! लोकसभा में किसी भी दल के सदस्य को जब स्पीकर के पद पर चुना जाता है, तो परम्परा के अनुसार चुनिन्दा स्पीकर दलीय राजनीति से उपर उठ कर लोकसभा का स्पीकर होने के नाते दल विहीन हो जाता है। आज स्पीकर के पद पर रहते हुये सोमनाथ दा दल विहीन हैं और सभी दलों से उपर हैं। वे लोकसभा स्पीकर हैं ! मार्क्सवादियों के स्पीकर नहीं ! ये बात मार्क्सवादियों के समझ में क्यों नहीं आ रही है ? मार्क्सवादियों को यह भी समझ लेना चाहिये कि सोमनाथ दा उनकी पार्टी के वरिष्ठतम नेता हैं और राजनीति के धुरन्धर ! अब उन्ही की पटटी पढाये कामरेड उन्हें ही सीख देना शुरू करदें तो दादा भला क्यों मानने लगे ?
मार्क्सवादियों को उनका "मार्क्स" सदबुद्धि दे कि वे सोमनाथ दा को जब तक वे लोकसभा स्पीकर हैं, उन्हें "लोकसभा स्पीकर" ही समझें ! पार्टी काडर नहीं !
