सत्ता लोलुपों को कब शर्म आयेगी ?
कांग्रेस को सत्तासीन होते देख सत्तालोलुपों ने लार टपकाना शुरू कर दिया है। श्री परसराम मदेरणा अपने दडबे से बाहर आ गये हैं। कर्नल सोनाराम भी मोर्चे पर हैं। श्री शीशराम ओला तैयार हैं खम ठोक कर ! शायद राजस्थान में इन तीनों के अलावा न तो कोई किसान है और न ही किसान का बेटा ! मानो ये ही हैं जाटों की नाव के खिवय्या। भाजपा ओर उसकी महारानी जी ने पिछले पांच सालों में राजस्थान में जातिवाद को जिस गैर जुम्मेदारान तरीके से पनपाया और जातिवाद के जहर ने जो जख्म राजस्थान के अवाम को दिये उन पर मरहम लगाने के बजाय इन सत्तालोलुपों ने भी जाटवाद पनपाकर कुर्सी की छीना झपटी शुरू कर दी। इन्हें शर्म नहीं आई ऐसा करते हुये। दुश्मन से लडते वक्त कमाण्डर ताकतवर और दूरदर्शी होना चाहिये। उसका जाट होना या किसान होना कोई मायने नहीं रखता कर्नल सोनाराम ! भूल गये संविधान की शपथ और अनुशासन ?
80 साल के श्री शीशराम ओला को केन्द्र में कैबीनेट मंत्री का दर्ज मिला हुआ है, फिर अब कौनसा पहाड टूट रहा है, जो 8 सिविल लाइन्स की तरफ दौड लगा रहे हैं। मदेरणा जी वयोवृद्ध नेता हैं राजस्थान के। क्यों बुढापे में राजस्थान की जनता के दुश्मन बनना चाहते हैं। इन सबको शर्म आनी चाहिये अपनी हरकतों पर ! राजस्थान की जनता सुशासन चाहती है। मदेरणा, सोनाराम, शीशराम ओला जैसे अवसरवादी नहीं ! समझ लेना चाहिये कांग्रेसी आकाओं को !
बेलगाम टीम
