समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

1 दिसम्बर, 2008

शहीदों को लाल सलाम-मोदी जी शर्म करो !

वतन पर जां निछावर करने वाले जांबाजों को बेलगाम का लाल सलाम ! अपनी जान की कुर्बानी देने वालों की शहादत ने निम्न स्तर की घटिया सियासत करने वालों के मुंह पर जो तमाचा जडा है, जिनमें गैरत है वे जरूर शर्मसार होंगे और जो बेशर्म हैं उनके लिये कहने को क्या बचा है !शहीद हेमन्त करकरे जिन्होंने रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग में 7 साल काम किया और महाराष्ट्र एटीएस के मुखिया के तौर पर हिंदुत्ववादी आतंकवादियों के खिलाफ ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के साथ जुटे थे, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के आला नेताओं ने उनकी खिलाफत में बेशर्मी से क्या कुछ निम्नस्तरीय बातें कहीं, सबकी नजर में हैं ! वे मोदी ही पहुंच गये एक करोड लेकर शहीद हेमन्त करकरे के परिवारजनों के पास ! लेकिन शहीद के परिवार ने लेने से इन्कार कर मोदी के मुंह पर करारा तमाचा जड दिया और लौटा दिया उन्हें वापस बैरंग ! नोटों की सियासत करने वालों को शायद शर्म आये ! अब गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूसरी गैर जुम्मेदारान हरकत पर गौर फरमायें ! ताज होटल परिसर में चल रहे सेना और ब्लेककैट कमाण्डो के आपरेशन टारनेण्डो के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी जिद करने लगे कि उन्हें कार से ताज परिसर में जायजा लेने के लिये घुमाया जाये। क्यों की ऐसी गैर जुम्मेदारान हरकत समझ के परे है। एक राज्य के मुख्यमंत्री को क्या कमाण्डो कार्यवाही की अहमियत का पता नहीं था ? अगर पता नहीं था, तो उन्हें इस जुम्मेदार पद पर रहने का हक नहीं है। लेकिन पद ये छोडेगें नहीं ! शर्म इनको आयेगी नहीं ! क्योंकि ये सफेदपोश नेता हैं जो ठहरे !
बेंगालूरू हो या फिर मुम्बई या दिल्ली ! शहीदों के परिवारों ने राजनेताओं को जो सबक सिखाया है, वह सफेदपोश राजनेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसा है, लेकिन शायद मोटी चमडी और सफेदपोशी ने इनके जहन से जमीर छीन लिया है। अब वक्त है आतंकवादियों के साथ-साथ इन सफेदपोशों से भी निपटने का !
बेलगाम टीम