समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ उपाय यही है !समस्या की श्रृखला में एक नई समस्या जोड़ दो !जनता का ध्यान पुरानी समस्या से हटा उस ओर मोड दो !जो यथार्थ का प्रतिबिंब दे उस शीशे को फोड़ दो !आचार्य महाप्रज्ञ

कुछ सारहीन बेगारों को, श्रमदान नहीं कहते ! बंजर भूमि देने को, भूदान नहीं कहते ! कुछ जोड़-तोड़ करने को, निर्माण नहीं कहते ! उठ-उठ कर गिर पड़ने को, उत्थान नहीं कहते ! दो-चार कदम चलने को, अभियान नहीं कहते ! सागर में तिरते तिनके को, जलयान नहीं कहते ! हर पढ़-लिख जाने वाले को, विद्धान नहीं कहते ! एक नजर मिल जाने को, पहचान नहीं कहते ! चिकनी-चुपडी बातों को, गुणगान नहीं कहते ! मंदिर में हर पत्थर को, भगवान नहीं कहते। --मुनि तरूणसागर
समाज तो सामायिक है,क्षणभंगुर है !रोज बदलता रहता है,आज कुछ-कल कुछ !भीड भेड है!

सदगुरू, तुम्हें भीड से मुक्त कराता है !सदगुरू, तुम्हें समाज से पार लेजाता है !सदगुरु तुम्हें शाश्वत के साथ जोड़ता है !
--रजनीश

28 सितम्बर, 2008

भूदान यज्ञ आन्दोलन का बंटाढार किया सामन्तवादी सोच की सरकार ने !

आचार्य विनोबा भावे ने अपने तरीके का एक अनोखा आन्दोलन पूरे देश में बडी शिददत से चलाया ! नाम दिया, भूदान यज्ञ आन्दोलन ! देश में सर्वोदय आन्दोलन का यह एक महत्वपूर्ण पूरक हिस्सा रहा है। स्व. आचार्य विनोबा भावे ने सर्वोदय आन्दोलन के एक हिस्से के रूप में भूदान यज्ञ की आहूति प्रज्वलित की ! जिनके पास ज्यादा जमीन थी या वे धनी लोग जो अपने अन्य बडे कारोबारों में व्यस्त रहने के कारण जमीनों का उपयोग नहीं करते थे तथा बडे-बडे राजा महाराजा, जमींरदार जिनके पास असीमित मात्रा में जमीन थीं, उनका मानस परिवर्तन कर उनकी जमीने भूदान यज्ञ आन्दोलन के तहत प्राप्त कर गरीब भूमिहीन किसानों में बांट दी। देश में हजारों ग्रामदानी गांव बसाये गये। लाखों लोगों भूमिहीन खेतीहर मजदूरों को जीवन यापन के लिये जमीन मुहय्या करा खेतीहर बना कर आत्मनिर्भर बनाया गया।
राजस्थान में भूदान-ग्रामदान के रूप में मिले गांवों की ग्रामदानी गांवों के रूप में स्थिति बरकरार रखने के लिये कानून बनाया गया और उसके तहत राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड का गठन कर उक्त ग्रामदानी गांवों एवं भूदान में मिली जमीनों को उसके आधीन कर दिया गया। ताकि इनकी सही तरीके से देखभाल हो सके। गरीबों को मदद मिल सके।
राजस्थान में वर्ष 2004 से, जब से भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे की सामन्तवादी विचारों की सरकार आई है, राज्य के राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड के चुनाव नहीं करवाये गये हैं। सामन्तवादी सरकार ने अपने कनिष्ठ अफसरों को बोर्ड का कामचलाऊ अध्यक्ष और मंत्री मनोनीत कर राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड का भटटा बैठा दिया ! आज स्थिति यह हो गई है कि भूदान में प्राप्त जमीनों पर असरदार पूंजीपति सरमायेदारों के कब्जे हो रहे हैं और गरीबों की कोई सुननेवाला नहीं है। राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार है। बोर्ड में आई शिकायतों का निवारण नहीं हो रहा है। बोर्ड के दफ्तर में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अध्यक्ष और मंत्री के रूप में मनोनीत अफसरों के पास बोर्ड के दफ्तर में बैठ कर गरीबों की समस्या सुनने की फुरसत नहीं है। पदनाम से मनोनीत अफसर कब बदल जायेगें और उनके साथ बोर्ड अध्यक्ष व मंत्री कब बदल जायेंगे ये तो ऊपरवाले को भी मालूम नहीं होता है। नतीजन गरीब पीडित शासन सचिवाल व बोर्ड के दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते बरबाद हो जाते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती है।
राजस्थान की नात्सीवादी सामन्तवादी भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार को पिछले चार सालों में फुरसत नहीं मिली, राजस्थान भूदान यज्ञ बोर्ड के चुनाव करवाने की। इससे बडी शर्म की क्या बात होगी इस सरकार के लिये, जो गरीबों के हित की तो बात करती है, लेकिन गरीबों को उजाड कर ! स्वर्गीय आचार्य विनोवा भावे की तपस्या-साधना भूदान-ग्रामदान यज्ञ आन्दोलन की जो दुर्गति राजस्थान की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार कर रही है उसको देखते हुये क्या इन्हें सत्ता में रहने का हक है ? आज अवाम का यह एक यक्ष प्रश्न है ! इसका जवाब भी देगा राजस्थान का अवाम ! खास कर पिछडा शोषित पीडित अवाम !