ये आजादी झूंटी है - देश की जनता दु:खी है !
भारत में हम आजाद है ! हिन्दुत्व का झण्डा बुलन्द करने के लिये चक्का जाम लगाने को, चाहे निरीह बीमार-मरीज मर जायें। हम आजाद हैं पंथों की लडाई सडकों पर लडने के लिये ! चाहे जानमाल का कितना भी नुकसान हो जाये ! हम आजाद हैं, सत्ता में बैठ कर भारत के संविधान की धज्जियां उडाने के लिये ! हम आजाद हैं, सत्ताधीशों की रहनुमाई में जमाखोरी-काला बाजारी करने के लिये ! सन्यास लेने के बाद भी, धर्म के नाम पर चन्दा-चिट्ठा इकट्ठा करने, संस्थाओं, सोसायटियों की आड में बडे-बडे मठ बनाने-सम्पत्ति अर्जित करने और गरीबों का शोषण करने के लिये भी हम आजाद हैं ! धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड ने की तो हमें पुख्ता आजादी है। सत्ता प्राप्ति के लिये जो भी कु-कर्म किये जा सकते हैं, करने की आजादी है ! गरीबों का शोषण, महिलाओं, बच्चों, आदिवासी तबके पर अत्याचार करने की भी हमें खुली आजादी है। क्योंकि हम इण्डियन्स हैं वो सम्पन्न 5 प्रतिशत लोग, जो भारत के 95 प्रतिशत लोगों को अपना गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं ! सच्चाई भी यही है कि 5 प्रतिशत इण्डियन्स ने 95 प्रतिशत भारतीयों को गुलाम बना कर रखा है। दु:खी हैं 95 प्रतिशत जनता इनसे ! यही है "इण्डिया दैट इज भारत" की असली व्यथा-कथा ! देश में अराजकता फैला कर देश की सत्ता अपने कब्जे में रखने वाले इन 5 प्रतिशत लोगों का जब तक सूपडा साफ नहीं होगा, हमारी ये आजादी झूंटी है। वक्त आगया है, शुरू करो इन बेलगामों पर चोट करना ! कहीं से भी ! कभी भी ! कहीं भी ! तभी मिलेगी भारत को सच्ची आजादी !
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